सनेह रोड पर आटो संचालकों की लूट खसोट

 खबर का पोस्टमार्टम

ऑटो संचालकों की महा लूट-खसोट

7 से 8 किलोमीटर तक दूरी का ले रहे ₹25 किराया

गरीब जनता की खून पसीने की कमाई लूट रहे

आरटीओ विभाग और प्रशासन आटो संचालकों की खुलेआम लूटपाट पर चुप्पी से आम जनता परेशान

एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी किसानों और मजदूरों की आय बढ़ाने के संसाधनों पर लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनके इन प्रयासों को कोटद्वार मैं कोटद्वार प्रशासन आरटीओ विभाग और ऑटो संचालक पलीता लगा रहे हैं। गौरतलब है कि कोटद्वार के विभिन्न मार्गों पर ऑटो संचालक अपने ऑटो संचालन करते हैं जिनमें बहुत से ऑटो संचालन करने वाले चालक न तो कमर्शियल ड्राइवर हैं, ना ही कई आटो के परमिट बने हुए हैं, कई ऑटो चालक बिना लाइसेंस के आटो चला रहे तो ऐसे हैं जो बिना प्रदूषण और इन्सोरेन्स के आटो हैं इसके बावजूद ये सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जिससे आम गरीब जनता और ऑटो में बैठने वाले सवारिया अपनी जान पर खेलकर सवारियां कर रहे हैं। यही नहीं यह संचालक अपनी मनमर्जी से आए दिन किराए में वृद्धि भी करते रहते हैं। कोविड-19 के दौरान कुछ समय जरूर वाहनों के किराए बढे थे लेकिन जैसे ही कोविड-19 सामान्य हुआ तो अधिकतर परिवहन कंपनियों ने अपने किराया पूर्व की भांति कर दिया है।

 लेकिन कोटद्वार के ऑटो संचालन करने वाले संचालक और चालक अभी भी कोविड-19 का बहाना लेकर जनता से मनमर्जी पैसे वसूल रहे हैं,आटो में मानकों से अधिक सवारियां बैठाई जा रही है। इसका एक सामान्य सा उदाहरण कोटद्वार के हनुमान मंदिर से संचालित होने वाले आटो संचालक जोकि सनेह तक चलते हैं उनका किराया मानकों को धरासाई कर लिया जा रहा है, क्यो कि हनुमान मंदिर से सनेह तक की दूरी मात्र 7 से 8 किलोमीटर की होती है।  कुम्भीचौड का किराया ₹10 दूरी ढाई से तीन किमी,  लालपानी तक का किराया 15 रुपए तक लिया जा रहा है जबकि लाल पानी से मात्र 1 किलोमीटर दूर है सनेह यानी कि 1 किलोमीटर की दूरी के लोगों को ₹10 चुकाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस संबंध में  आटो संचालकों से बात की गई उनका कहना था कि तेल मूल्य वृद्धि हो गई है तथा सड़क बहुत टूट फूट चुकी है।  जब ऑटो संचालकों से पूछा गया कि 5 सवारी के बजाय 8 से 10 सवारी किस आधार पर ले जा रहे हैं जबकि कोविड-19 चल रहा है तो संचालकों का कहना था कि कोई मरीज होता है कोई जरूरतमद होता हैउनकी जरूरत के अनुसार उन्हें बैठाना भी पड़ सकता है। लेकिन अगर कोई दुर्घटना हो गई तो क्या ऑटो संचालन करने वाले इसके जिम्मेदार होंगे....?  प्रशासन....? या आरटीओ विभाग....? अधिकांश ऑटो संचालक 5 से अधिक सवारियां यानी कि 8 और 10 कभी-कभी तो इनके आटो में 12:12 तक सवारिया झूला पुल से और स्नेह के बीच में देखी जा सकती हैं। ऑटो चालक की मनमर्जी क्षेत्र के लोगों की खुलेआम जेब काट रहे हैं और आरटीओ विभाग तथा प्रशासन बिल्कुल मौन है । यह ऑटो चालक खून पसीने से कमाई करने वाले जनता की खून पसीने की कमाई से अपने घरों को भरने में तुले हुए हैं ।अब देखना यह है कि प्रशासन और आरटीओ विभाग इस समस्या पर  गौर करता है या जनता को लुटने पर विवश करता है।



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