ऊर्जा निगमों में निदेशकों के कार्य – काल विस्तार से खुली शासन की पोल
यूजेवीएनएल में सिंघल को डेढ़, यूपीसीएल में प्रसाद और पिटकुल में ध्यानी को एक – एक साल का मौका?
तीनों निगमों में स्थाई निदेशकों और प्रबंध निदेशकों की बजाए काम चलाऊ व्यवस्था पर जोर क्यों?
क्या ऊर्जा विभाग नियुक्तियां करने में भी सक्षम नहीं?
तीनों निगमों में स्थाई निदेशकों और प्रबंध निदेशकों की बजाए काम चलाऊ व्यवस्था पर जोर क्यों?
क्या ऊर्जा विभाग नियुक्तियां करने में भी सक्षम नहीं......?
देहरादून। जहां एक ओर धामी सरकार पिछली सरकारों की अपेक्षा अपने नम्बर बढ़ाने पर जोर दे रही हैं उन्हीं के शासन के ऊर्जा विभाग की उदासीनता और निष्क्रियता के चलते गिनती उल्टी दिशा में चलती दिखाई पड़ रही है। शायद यही कारण है कि विगत कई वर्षों से ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों में अनेकों निदेशकों व प्रबंध निदेशकों के पदों पर स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शिथिल पड़ी हुई है और अस्थाई रूप से काम चलाऊ व्यवस्था पर जोर देकर धामी सरकार को सवालिया निशानों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है। ऊर्जा विभाग के द्वारा विगत लगभग तीन वर्षों से निर्धारित समय पर निश्चित प्रक्रिया न अपनाया जाना और पिटकुल, यूपीसीएल सहित यूजेवीएनएल के एमडी और निदेशकों जैसे जिम्मेदार पदों पर नई नियुक्तियां स्थाई रूप से न करके वही ढोल मंजीरे बजाए जा रहे हैं जिनके सुर पहले से ही बेसुरे हो रखे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस निष्क्रियता और उदासीनता के पीछे “भ्रष्टाचार का अचार” अधिक प्रभावी है? वरना बजह क्या है कि शासन में इन्हीं व्यवस्थाओं के लिए बिठाये गये अधिकारी अपनी ड्यूटी से बेखबर व लापरवाह क्यों हैं या फिर सक्षम नहीं हैं? वर्ष 2019-20 से समय समय पर रिक्त होने वाले निदेशकों और प्रबंध निदेशकों की समय पर समुचित नियुक्ति प्रक्रिया का न अपनाया जाना और ऐन-केन- प्रकरेण लटकाए रखना तथा जब पानी गले – गले आ जाये तो नितांत आवश्यकता दर्शाते हुए प्रभारी, कार्यकाल व सेवा विस्तार जैसे आदेश जारी करके गम्भीरता का नाटक किया जाना कहां तक उचित है? क्या यह परम्परा और परिपाटी जारी रखना विकास में बाधक नहीं और नयी प्रतिभाओं पर कुठाराघात व अत्याचार नहीं है?
विवशता सरकार की....?
यहां उल्लेखनीय यह भी कम नहीं है कि यूपीसीएल एमडी वीसीके मिश्रा और निदेशक परिचालन अतुल अग्रवाल के क्रमशः कार्यकाल और सेवा विस्तार को लेकर जिन राइडर्स और ब्रेकर्स का प्रयोग न करने वाली नीति अपना कर भ्रष्टाचार पर विराम लगाये जाने का एक असफल प्रयास किया गया था वही नीति अब क्यों अपनाई जा रही है?
उधर यूपीसीएल में निदेशक (परिचालन) के पद पर सेवानिवृत्त होने वाले एम एल प्रसाद को एक वर्ष का सेवा विस्तार दिये जाने से जहां कुछ खास को सांप सूंघ गया है वहीं शासन का दोहरा चेहरा सामने आया है!
सूत्रों की अगर मानें तो जलविद्युत निगम में भ्रष्टाचार और घोटालों पर एमडी की काली चादर चढ़ी होने के चलते ही जो कर्मचारी और नेता अभी तक डंका बजाने की बात करते और ताल ठोकते जब तब नजर आते थे आज वे ही उसी लंका में सम्मिलित होकर “तू भी खा, मुझे भी खिला” का खेल खेल रहे हैं। जबकि जलविद्युत निगम के द्वारा करोड़ों के वारे न्यारे किये जाने का खेल चल रही परियोजनाओं में मशीनों के मेंटीनेंस व बिना किसी उचित औचित्य के नई मशीनें मंगाए जाने की फ़िराक में डबल काली कमाई का खेल और नये निर्माणधीन भवन में बेधड़क होकर गूल खिलाए जा रहे हैं।
यही कमोवेश हाल पिटकुल का है जहां भी काम चलाऊ व्यवस्था बरकरार है और निदेशक (वित्त), निदेशक (परियोजना) एवं प्रबंध निदेशक सहित निदेशक परिचालन की स्थाई नियुक्ति खटाई में है? यहां यह बात प्रशंसनीय अवश्य है कि पुराने भ्रष्टाचार के मामलों पर वर्तमान प्रभारी एमडी ऐक्शन में दिखाई पड़ने लगे हैं।
उत्तराखंड शासन के ऊर्जा विभाग के द्वारा पिटकुल के प्रबन्ध निदेशक पी.सी. ध्यानी के द्वारा कारपोरेशन कार्यहित में किये जा रहे विशिष्ट कार्यों एवं प्रदेश हित में प्राप्त की गयी उपलब्धियों के दृष्टिगत निदेशक (मा.सं.) के पद पर एक वर्ष का समय-विस्तार प्रदान किया गया, जिसके क्रम में पिटकुल में कार्यरत कार्मिकों में उल्लास का वातावरण बना हुआ है। इस अवसर पर पिटकुल के विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्मिक एवं एसोसिएशनों द्वारा उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गयी इसके साथ ही उनके द्वारा माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री धामी, उत्तराखण्ड सरकार का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया गया।
प्रबन्ध निदेशक द्वारा सभी कार्मिकों को धन्यवाद पे्रषित करते हुए उनसे यह आहवान किया गया कि प्रदेश एवं कारपोरेशन हित में कड़ी मेहनत एवं टीम भावना से काम करें जिससे पिटकुल अग्रणी ट्रांसमिशन यूटीलिटी बन सके।
इस अवसर पर उत्तरांचल पावर इंजनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कार्तिकेय दुबे, अधीक्षण अभियन्ता, नीरज पाठक आदि, विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष पंकज सैनी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन की ओर से आजीवन संरक्षक जी.एन. कोठियाल, केन्द्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविन्द्र सैनी, अधिशासी अभियन्ता, केन्द्रीय महासचिव पवन रावत, सहायक अभियन्ता एवं जिलाध्यक्ष नवनीत चैहान, आदि उपस्थित रहे। विद्युत ऊर्जा आरक्षित वर्ग एसोसिएशन की ओर से केन्द्रीय संरक्षक नत्थू सिंह रवि, केन्द्रीय प्रमुख आदि उपस्थित रहे। पिटकुल के वित्त विभाग से श्री अजय कुमार शर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। निदेशक (परियोजना) कार्यालय से अधिशासी अभियन्ता बलवन्त सिंह पांगती, प्रा.भा.नि.के. से दिनेश उनियाल, आदि उपस्थित रहे।
पुष्कर सिंह पवार
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