पुलिस कर्मचारियों के 20 वर्ष सेवा ग्रेड पे का मामला कैबिनेट में फिर लटकाया

 


पुलिस कर्मचारियों के 20 वर्ष सेवा का ग्रेड पे मामला कैबिनेट ने फिर लटकाया 

अन्य विभागों के सापेक्ष पुलिस कांस्टेबल संवर्ग से हो रहा सौतेला व्यवहार

पुलिस कांस्टेबल का राज्य में बंधुआ मजदूर की तरह हो रहा इस्तेमाल 

अन्य राज्यों में पुलिस कांस्टेबलों को पूरा प्रोत्साहन 

बहुत मानसिक तनाव में ड्यूटी दे रहे पुलिस कांस्टेबल संवर्ग के पुलिस कर्मी

        उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों पर विषम परिस्थितियों में काम करने का दबाव आवश्यकता से अधिक है। जबसे उत्तराखंड राज्य का का गठन हुआ है तब से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने कांस्टेबल स्तर के कर्मचारियों को लेकर कोई ठोस स नीति नहीं बनाई जिससे कांस्टेबल संवर्ग के कर्मचारियों को लाभ मिल सके। 20 वर्षों से विषम और विपरीत परिस्थितियों में काम करने के वावजूद भी किसी सरकार ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की। मामला उत्तराखंड के पुलिस कांस्टेबल कर्मचारी संवर्ग वर्ष 2001 और वर्ष 2002 के भर्ती आरक्षीयो का इस प्रकार से है कि 10 वर्ष की संतोषजनक  सेवा कर समय से प्रथम ए0सी0पी0 का लाभ प्राप्त कर चुके हैं तथा वर्तमान में रुपये-36400 व 37500 रुपये ग्रेड पे दोनो बैच ले रहे हैं। ए0सी0पी0 व्यवस्था के तहत आरक्षी को यदि 10-16 और 26  वर्ष की संतोषजनक  सेवा पूर्ण करने पर सेवा नियमावली के अनुसार पदोन्नति दिये जाने का प्राविधान था पदोन्नति नही कर पाने पर पद के सापेक्ष में द्वत्तीय ए0सी0पी0 के लाभ के रूप में रुपये-4600/- ग्रेड पे दिया जाता है। जबकि 1997/1998 व इससे पूर्व में उत्तर प्रदेश बैच के भर्ती बैच को 16 साल की सेवा पर रुपये-4600/- ग्रेड पे दिया जा रहा है। जो कि वर्तमान में 5200/-रुपये ग्रेड पे प्राप्त कर रहे हैं अर्थात आरक्षी को ए0सी0पी के रूप में समयानर्गत उ0नि0 का वेतनमान मिलने का प्रावधान काफी पुराना है। नये वेतन आयोग ने 10,20 व 30 वर्ष की सेवा पर द्वित्तीय व तृत्तीय ए0सी0पी0 के तहत रुपये-2400/-और रुपये-4600/-व 4800/- देने का प्रावधान होने पर भी आरक्षी को समयानर्तगत ए0सी0पी में ग्रेड पे 4600/- के स्थान पर 2800/- कर दिया गया है जिससे कर्मचारियो को कोई भी लाभ नही हो रहा है यहां पर ये भी उल्लेखनीय  है कि 2800/-ग्रेड पे पुलिस विभाग  में ए0एस0आई0(म) का है जबकि  नागरिक पुलिस और सशस्त्र पुलिस में ऐसा कोई पद है ही नही। नागरिक पुलिस और सशस्त्र पुलिस में आरक्षी,के बाद हेड आरक्षी,और फिर उप0नि0 व निरीक्षक का पद ही सृजित  है। फिर जिस पद  का ग्रेड पे दिया जा रहा है वह पद सृजित ही नही है तो वेतनमान देने का कोई औचित्य नही है। राज्य सरकार  और /पुलिस विभाग की इस नीति से समस्त पुलिस कांस्टेबल संवर्ग परिवार अत्यधिक हताशा और निराशा व मानसिक तनाव में आ गये हैं। जिस कारण कांस्टेबल संवर्ग के पुलिसकर्मियों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ना लाजिमी है ,और कहीं यह आक्रोश उबरकर बाहर निकल गया तो पूरे राज्य की कानून व्यवस्था तितर-बितर हो जाएगी, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। गौरतलब है कि जिस प्रकार कर्मचारी संवर्ग अर्थात फिल्ड कर्मचारियों की उपेक्षा कर अधिकारी संवर्ग को राज्य में प्रोत्साहित किया जा रहा है वह न तो राज्य के हित में है और न विभागों के हित में। अगर विभागों में कर्मचारियों की जगह अधिकारियों का बाहुल्य होगा तो काम कौन करेगा ? 

 यह भी उल्लेखनीय  है कि हमेशा समय के साथ-साथ कर्मचारियों की सुविधाओं और वेतन आदि मे वृद्वि की जाती है परन्तु अपने आप में यह  इस तरह का पहला प्रकरण है उत्तराखंड राज्य में देखने को मिल रहा है कि समय के साथ वेतन बढाने के स्थान पर कम किया गया है जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है जिससे कर्मचारियों को अत्यधिक निराशा और कुंठा का सामना व विभाग के प्रति असंतोष उभर रहा है। पुलिस कर्मियों के अनुसार अपना ही विभाग हमारा नही है तो हम किससे शिकायत करें ?  अनुशाशित पुलिस बल होने के कारण पुलिस के जवान कोई हडताल नही कर  सकते ? जिस कारण सदैव पुलिस कांस्टेबलों का शोषण किया जा रहा है, उन्हें बंधुवा मजदूर की तरह उपयोग में लाया जा रहा है जबकि ये भी सरकार के कर्मचारी हैं। रात दिन आपदा, कानून व्यवस्था, बीआईपी सुरक्षा,माननीयों की चौकीदारी,और तो और आवारा पशुओं की चौकीदारी भी इन्हीं कांस्टेबल पुलिस कर्मियों के हवाले हैं। लगातार कैबिनेट में केवल पुलिस कर्मियों के कांस्टेबलों का मामला टाला जा रहा है। कसाईयों से भी बदतर व्यवहार पुलिस के राज्य स्तरीय अधिकारियों और उत्तराखंड सरकार का वित्तीय विभाग और नीति आयोग और राज्य कैबिनेट द्वारा किया जा रहा है। परिजनों के साथ तीज त्यौहार मनाने, सुख-दुख में परिजनों के साथ सामुहिक खुशियां मनाना होली, दीपावली,ईद जैसे त्योहारों में परिवार से दूर कानून व्यवस्था में तत्पर पुलिस कांस्टेबल ही व्यस्था बनाने में प्रशासन और पुलिस के उच्चाधिकारियों की रीढ़ का काम करते हैं। इसलिए पुलिस के उच्चाधिकारियों और राज्य सरकार को पुलिस कांस्टेबलों के साथ सौतेला व्यवहार छोड़कर समान व्यवहार अपनाने के साथ पुलिस कांस्टेबलों का मनोबल बढ़ाने के साथ न्याय करना चाहिए। 

       

                                              

                             

                             

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