डीएम राजस्व अधिकारी हैं, उन्हें विद्यालयों के कार्याें में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं - हाई कोर्ट
न्यायालय में कब कैसे निर्णय आते हैं जिससे आम आदमी से लेकर विधि विशेषज्ञ भी हतप्रभ रह जाते हैं। भारतीय संविधान में बनाए गए कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच कई बार मामला उलझ जाता है। न्यायपालिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र का विषय भी चर्चा और विश्लेषण का है। कभी कभी कार्यपालिका से जुड़े अधिकारी कुछ ऐसे निर्णय ले लेते हैं जिससे बाद में फजी त झेलनी पड़ जाती है। ऐसा ही कुछ मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रकाश में आया है, मामला संभल जिले के एक शिक्षक की याचिका पर न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले से संबंधित है। जिसमें कोर्ट ने शिक्षक के निलंबन को रद्द करते हुए डीएम के अधिकार क्षेत्र को शिक्षा विभाग में असंवैधानिक बताते हुए डीएम और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संभल से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सहायक अध्यापिका संतोष कुमारी की याचिका पर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि डीएम राजस्व अधिकारी हैं, उन्हें विद्यालयों के कार्यों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। ऐसे में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के निरीक्षण का आदेश देना और शिक्षक का निलंबन आदेश अवैधानिक है। न्यायालय ने शिक्षक के निलंबन को रद्द करते हुए डीएम और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संभल से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सहायक अध्यापिका संतोष कुमारी की याचिका पर दिया।
संभल के एक विद्यालय में याची शिक्षिका कार्यरत थीं। उन्हें 25 अक्तूबर 2024 के आदेश से निलंबित कर दिया गया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याची अधिवक्ता चंद्रभूषण यादव ने दलील दी कि डीएम के निर्देश पर एसडीएम और खंड शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया। शिक्षिका को कार्य में खराब प्रदर्शन के आधार पर निलंबित कर दिया गया। निलंबन आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की। न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि डीएम को बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों के निरीक्षण का अधिकार नहीं है। बेसिक स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद के तहत चलते हैं। इसका नियंत्रण बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास होता है। बीएसए अपर निदेशक, निदेशक और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के प्रति जवाबदेह हैं। इसका अध्यक्ष एक शिक्षा मंत्री होता है। ऐसे में डीएम की विद्यालयों के कार्यों में कोई भूमिका नहीं है।
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी इसके लिए जिम्मेदार माना। कहा कि उन्होंने डीएम को यह नहीं बताया कि विद्यालय के निरीक्षण का आदेश देने का उनको अधिकार नहीं है। न्यायालय ने निलंबन आदेश रद्द कर जवाब मांगा।
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