गजब जी गजब, उत्राखंड सरकार का एक और भर्ती घोटाले का पर्दाफाश

 गजब जी गजब, उत्राखंड सरकार का एक और भर्ती घोटाले का पर्दाफाश

जीरो टॉलरेंस चिकने घड़े की सरकार का मानना " हम नहीं सुधरेंगे" 
 बेरोजगार महासंघ के बाबी पवार ने फोड़ा बम
 जीरो टॉलरेंस की सरकार की खुली  कलई 

रिपोर्ट - पुष्कर सिंह पवार 

 


 उत्तराखंड/देहरादून। उत्तराखंड सरकार की ईमानदारी में कितना दम है उजागर करता है उत्तराखंड के बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों द्वारा कि सरकार के सरकारी भर्ती महकमों, धामी कैबिनेट के माननीयों और ब्यूरोक्रेसी के तिगडम की कार्यशैली से।

 गुरुवार को प्रेस को जानकारी देते हुए बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बाबी पवार ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने  के लिए किस कदर सारे नियम कायदों को ताक पर रखते हुए भूतपूर्व सैनिक कोटे में नियुक्ति कर डालती है।

  मामला पूर्व की पीसीएस परीक्षा 2012 का है जहां सैनिक कोटे की सीट पर भर्ती मामले मामले में धामी कैबिनेट ने नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए पहले तो अधिक नंबर पाने वाले अभ्यर्थी को दरकिनार कर दूसरे नंबर पर आए अभ्यर्थी को नियुक्ति दे दी। पहले नंबर पर आए अभ्यर्थी द्वारा न्यायालय की शरण लेने पर उसे नियुक्ति तो दी परन्तु पहले अभ्यर्थी को नियम विरुद्ध समायोजित कर दिया।

 मामले के अनुसार सैनिक कोटे से एसडीएम बने मनीष बिष्ट के पहले नंबर पर आए सुधीर कुमार से 31नंबर कम थे। जिस कारण सुधीर कुमार की मा.उच्च न्यायालय के निर्णय लोक सेवा आयोग को सुधीर कुमार को नियुक्ति देनी पड़ी। उच्च न्यायालय के निर्णय के विरोध स्वरूप लोक सेवा आयोग ने रिव्यू पिटीशन भी डाली परन्तु न्यायालय द्वारा खारिज कर सुधीर कुमार की नियुक्ति को सही ठहराया। बाद में मनीष बिष्ट द्वारा व लोक सेवा आयोग द्वारा समायोजन का अनुरोध के बाद शासन द्वारा कहा जाता है कि परीक्षा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाती है तथा उसकी संस्तुति के आधार पर एसडीएम के पद पर नियुक्ति की जाती है परन्तु सीधे एसडीएम के पद पर की नियमावली में समायोजन की कोई व्यवस्था नहीं है ।

  भूतपूर्व सैनिक नियमावली के अनुसार कोई भी पूर्व सैनिक सैनिक कोटे का केवल एक बार उपयोग कर सकता है परन्तु मनीष बिष्ट द्वारा दो बार सैनिक कोटे का लाभ लिया, इससे पूर्व मनीष बिष्ट द्वारा सहायक अध्यापक भर्ती 2010 में शासन व लोक सेवा आयोग की जानकारी के बावजूद लाभ लिया जो कि पूर्णतया नियम विरुद्ध है।

 बाबी पवार ने जानकारी देते हुए कहा कि गंभीर मसला यह है कि पीसीएस की मूल विज्ञप्ति 2012 की जाए तो उसमें पूर्व सैनिकों के लिए केवल एक पद आरक्षित था परन्तु 2014 की संशोधित विज्ञप्ति में भूतपूर्व सैनिकों के लिए एसडीएम का कोई भी पद आरक्षित नहीं था जब 16 एसडीएम के पदों में कोई भी एसडीएम का पद आरक्षित नहीं था तो कैसे दो-दो एसडीएम भूतपूर्व सैनिक कोटे से नियुक्त हो गए.....? 

 प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए बाबी पवार ने राज्यपाल से गुहार लगाई है कि तत्कालीन लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सचिव, कैबिनेट में प्रस्ताव पास करने वाले मंत्रियों और मुख्यमंत्री के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई के लिए जांच के आदेश दिए जाएं। साथ ही उच्च न्यायालय से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे भ्रष्टाचार के कुकृत्यों का स्वत: संज्ञान लेते हुए सीबीआई की जांच के आदेश देने की कृपा करें। प्रेस वार्ता में उपाध्यक्ष राम कंडवाल, प्रचार सचिव नितिन बुडाकोटी व संरक्षक मनीष गोदियाल मौजूद रहे।

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