उत्तराखंड विकास पर भाजपा की पोल खोलती आर टी आई

 उत्तराखंड विकास पर भाजपा की पोल खोलती आर टी आई 



 रिपोर्ट - पुष्कर सिंह पवार 

 मालन,सुखरौ नदी पर पुलों की स्वीकृति दिसंबर 2006 में
लालढांग - चिल्लरखाल मोटर मार्ग निर्माण अपर प्रमुख वन संरक्षक परियोजना द्वारा लिखित सूचना
सरकार बदलते ही सितंबर 2007 में मोटर मार्ग निर्माण पर रोक के आदेश जारी 




 कोटद्वार। उत्तराखंड की राजनीति में भाजपा कांग्रेस की आरोप प्रत्यारोप की कबड्डी का खेल राज्य बनने के बाद से चला आ रहा है। इस दिलचस्प खेल में दोनों दलों के दांव-पेच में बेचारा रेफरी ( जनता ) मोहरा बनाकर पूरे मैदान में इस मनसा से मैच खिलाते हैं कि जीतने वाला दल रेफरी की मेहनत और ईमानदारी पर शाबाशी देगा।

  लेकिन जबसे उत्राखंड राज्य बना उत्तराखंड में आमजन मानस का भला कितना हुवा यह सब जनता के सामने खुली किताब की तरह है। राज्य की भोली भाली जनता भी उम्मीदवारों की काबिलियत के बजाय शीर्ष नेतृत्व के चेहरे को चुनने में अपनी काबिलियत दिखाती आ रही है। 

 उत्तराखंड में विकास के नाम पर स्वीकृति और घोषणाओं पर लगातार आंख-मिचौली का खेल जारी है। ऐसे ही कोटद्वार विधानसभा में विकास कार्यों को लेकर देखने आ रहा है। इस बार  मौका मिला कांग्रेस को....! मामला कोटद्वार में विकास कार्यों के लिए किए गए कार्यों जिनमें मालन नदी में सेतु निर्माण के लिए 1235.25 लाख एवं सुखरौ पुल निर्माण के लिए 1424.40 लाख की स्वीकृति दिसम्बर 2006 में सरकार द्वारा दे दी गई। उस दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। 2007 में सरकार बदलते ही सारे आदेश उत्राखंड के पहाड़ों में गुम हो गए। यही नहीं लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग पर भी ईपीआई कंपनी को अपर प्रमुख वन संरक्षक परियोजना उत्राखंड सरकार द्वारा 13 किमी की डीपीआर की लागत 278.90 लाख का प्रस्ताव जुलाई 2006 में स्वीकृत किया गया परन्तु उसमें भी सरकार बदलते ही भाजपा सरकार ने सितंबर 2007 में रोक लगाने के आदेश जारी कर अपनी विकास विरोधी मानसिकता को जता दिया। 

 विकास के नाम पर आंख मिचौली की कबड्डी में बेचारा रेफरी इस बार कैसे खेल खिलाकर किसके सर पर ताज पहनाएगा यह तो 4 जून को रेफरी द्वारा विजेता की घोषणा के बाद ही पता चलेगा।


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