उपजिलाधिकारी, पटवारी सहित राजस्व कर्मियों ने ही बेच डाली सरकारी जमीन

              धोखाधड़ी 

  उपजिलाधिकारी, पटवारी सहित राजस्व कर्मियों ने ही बेच डाली सरकारी जमीन, मुकदमा दर्ज 

 

धोखाधड़ी कर सरकारी जमीनों को बेचने के मामले में उत्तराखंड के  राजस्व कर्मचारियों समेत एसडीएम सहित कोर्ट के पूर्व  पटवारी पर मुकदमा दर्ज करने का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने मामले की जांच गंभीरता से शुरू कर दी है।

 देहरादून। उत्तराखंड में राजस्व विभाग और उसके कर्मचारियों के सरकार को चूना  लगाने के मामले आए दिन सुनने और पढ़ने को मिल जाते हैं। ऐसा ही कुछ मामला देहरादून में झांझरा कस्बे में प्रकाश में आया है। जहां सरकारी जमीन को राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से सोसाइटी को बेचने का आरोप लगा है। राजस्व विभाग के भ्रष्ट और धोखाधड़ी में माहिर कर्मचारियों और अधिकारी ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए यह धोखाधड़ी कर सरकारी जमीन को ही ठिकाने लगा दिया । गजब तो यह है इस फर्जीवाड़ा में उपजिलाधिकारी का आशीर्वाद भी भर भर कर मिला। एसआईटी की जांच के आधार पर आरोपी, एसडीएम विकासनगर, कोर्ट के पूर्व कर्मचारी और पटवारी पर प्रेमनगर थाने में केस दर्ज हुआ है।

 जांच अधिकारी अरुण प्रताप सिंह की ने शिकायत दर्ज कराई है कि अमरजीत ने 2002 में झाझरा की 1.5930 हेक्टेयर जमीन तीन लोगों को बेची थी। बाद में 2004 में उसी जमीन के दस्तावेज के आधार पर 0.9110 हेक्टेयर जमीन की फर्जी रजिस्ट्री एक संस्था के नाम की गई और सरकारी जमीन पर कब्जा दे दिया गया। इस मामले में सरकारी अभिलेखों में भी हेराफेरी की गई। एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरजीत ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा किया।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जमीन की पहले हुई बिक्री का रिकॉर्ड जानबूझकर देरी से चढ़ाया गया जिससे धोखाधड़ी की गई। थाना प्रेमनगर प्रभारी गिरीश नेगी ने बताया कि अमरजीत सहित एसडीएम विकासनगर, कोर्ट के पूर्व कर्मचारियों और पटवारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। धोखाधड़ी के मामले में आरोपियों को सजा मिले या न मिले परन्तु इससे साफ पता चलता है कि उत्तराखंड को लूटने में केवल भू-माफिया ही नहीं राजस्व विभाग के सरकारी मशीनरी के कुछ लोभी अधिकारी और कर्मचारी भी बराबर के सहयोगी हैं। ऐसे लोगों पर यह लोकोक्ति सटीक बैठती है "जब खेत की बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसको भगवान भी नहीं बचा सकता"।


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