पूर्वी खोह नहर से सटे बरसाती नालों में अतिक्रमण कर बरसाती पानी सिंचाई नहर में डायवर्ट
सिंचाई विभाग की नहरों में गाद और कूड़ा भरने पर सिंचाई विभाग को सफाई और मरम्मत करने पड़ रहे लाखों खर्च
स्नेह पट्टी में बसे ग्रास्टनगंज, रतनपुर, कुम्भीचौड़, रामपुर - लालपानी,कोटडीढांग सनेह के किसान भुगत रहे ख़ामियाजा
कोटद्वार। उत्तराखंड में भूमि अतिक्रमण करना बच्चों के घरेलू खेल के समान होता जा रहा है। पूरा उत्तराखंड राज्य की सरकारी भूमि भू अतिक्रमणकारियों की बपौती बन चुकी हैं। कहीं वन विभाग, कहीं सिंचाई विभाग, कहीं शिक्षा विभाग,मंडी समिति से लेकर राजस्व भूमि पर अतिक्रमण करना बाजार से सब्जी खरीदने जैसा हो गया है। 25 वर्ष के युवा राज्य में अगर किसी दमदार विकास हुआ है तो वह हूं अतिक्रमणकारियों का....!
उत्तराखंड के पौड़ी जिले का कोटद्वार शहर पौड़ी जिले का एकमात्र मैदानी और भाबर क्षेत्र है। कभी चारधाम यात्रा के प्रवेश द्वार अर्थात करोडों भगवानों के प्रवेश द्वार पर भू अतिक्रमणकारियों ने राज्य बनने के बाद से ताला लगाना शुरू कर दिया। हालात अब इतने बद्तर होने लगे हैं कि भू अतिक्रमणकारियों और रसूखदार लालची लोगों द्वारा धनबल और राजनीतिक प्रभाव से कोटद्वार के सरकारी जल, जंगल जमीनों पर भी अतिक्रमण करना शुरू कर दिया है। कहीं सरकारी भूमि हथियाने के लिए सिंचाई नहरों को पाट दिया, कहीं नदी-नालों को सिंचाई नहरों में डायवर्ट कर राजस्व और वन भूमि पर अतिक्रमण कर होटल, रिजोर्ट, बिना रेरा और प्राधिकरण के आवासीय कालोनियों और व्यापारिक प्रतिष्ठान बना डाले हैं।
इसी को लेकर लाल पानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकृष्ण सिंह नेगी और स्थानीय निवासियों ने उपजिलाधिकारी कोटद्वार को शिकायती पत्र देकर मांग की है कि वार्ड नं 1 से लेकर 3 तक जिनमें मुख्यतः ग्रास्टनगंज, रतनपुर और कुम्भीचौड़ क्षेत्र के वन से निकलने वाले बरसाती नालों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए व जिन अतिक्रमणकारियों ने पहाड़ी वन क्षेत्र से निकलने वाले नालों को सिंचाई नहर में डायवर्ट किया है उन पर कठोर कानूनी कार्रवाई के साथ बरसाती नालों को पूर्व की भांति यथावत पानी निकासी के लिए बरसाती पानी को खोह नदी में जाने का मार्ग खोला जाए।

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