मशाला बोर्ड के हल्दी बोर्ड द्वारा वैज्ञानिक हल्दी उत्पादन और प्रोसेसिंग प्रशिक्षण
उत्तराखंड की आर्गेनिक हल्दी की डिमांड को लेकर पौड़ी जिले का उद्यान विभाग सक्रिय
मशाला खेती कर रहे किसानों को एक छतरी के नीचे संगठित कर हल्दी की खेती को प्रोत्साहित करने का निर्णय
पौड़ी जिले का भाबर क्षेत्र हल्दी की खेती के लिए भौगौलिक दृष्टि से बहुत लाभदायक
हल्दी की खेती और प्रोसेसिंग की वैज्ञानिक प्रशिक्षण से किसान बन सकेंगे आत्मनिर्भर
कोटद्वार। उत्तराखंड राज्य का पहाड़ी,भाबर और तराई भौगौलिक क्षेत्र आर्गेनिक खेती विशेषकर फल-सब्जी और हवाला खेती के लिए बहुत सकारात्मक है। वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकार भी पहाड़ी राज्यों में पलायन पर लगाम लगाने और पहाड़ के उद्यानिकी और हवाला खेती से जुड़े कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्पाइस बोर्ड और उद्यान विभाग के विषय विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रशिक्षण देकर प्रोत्साहित कर रही है। हल्दी बोर्ड के वैज्ञानिक द्वारा कार्यक्रम में भाग ले अधिकारियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत व कृषकों का हाथ जोड़ कर अभिवादन किया।
शनिवार को कोटद्वार में जिला उद्यान अधिकारी पौड़ी व जिला उद्यान केन्द्र कोटद्वार के सहयोग से केन्द्रीय मशाला बोर्ड दिल्ली के हल्दी विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने कोटद्वार,दुगड्डा व आसपास के मशालें की खेती से जुड़े कृषकों को एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में हल्दी बोर्ड के वैज्ञानिक डा. दिनेश बिष्ट,मशाला बोर्ड से भावना जेसवानी भसीन,मशाला बोर्ड बाराबंकी से संदीप कुमार यादव, जिला उद्योग केन्द्र कोटद्वार के प्रबंधक आरपी आर्या, जिला उद्यान अधिकारी पौड़ी, डा. राजेश तिवारी, जिला उद्यान विशेषज्ञ पंकज पटवाल, नर्सरी विकास अधिकारी, कुम्भीचौड़ कोटद्वार अक्षिता भट्ट ने कृषकों के साथ जानकारी शेयर की।
सर्वप्रथम हल्दी बोर्ड के वैज्ञानिक डा. दिनेश बिष्ट ने हल्दी की उपयोगिता, गुणवत्ता बीजों की वैरायटी से लेकर हल्दी को लगाने, खोदने,भंडारण करने व अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप प्रोसेसिंग की वैज्ञानिक प्रशिक्षण तकनीक अपनाकर आर्गेनिक हल्दी उत्पादन की जानकारी दी। मशाला बोर्ड की अधिकारी भावना ने हल्दी के भारत व उत्तर भारत में हल्दी उत्पादन की जानकारी दी। उन्होंने उत्तराखंड में हल्दी की गुणवत्ता बताते हुए बताया कि उत्तराखंड के कृषक आर्गेनिक हल्दी उत्पादन और स्वयं की संभाल प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने वैज्ञानिक तरह से हल्दी उत्पादन और प्रोसेसिंग यूनिट की बौयलर मशीनरी और पालिशिंग मशीन की जानकारी व उसकी उपयोगिता भी बताई। बाराबंकी से आए मशाला बोर्ड के अधिकारी संदीप कुमार यादव ने हल्दी उत्पादन के लिए उत्तराखंड में स्वयं सहायता समूहों,एफपीओ और क्लस्टर में जुड़कर काम करने पर जोर दिया। उन्होंने एपीडा के माध्यम से सहकारी योजनाएं लेकर हवाला उद्योग अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने जानकारी दी कि एसपीओ और एपीडा के माध्यम से सहकारी मशीनरी लगाने से सब्सिडी से उद्योग स्थापित किया जा सकता है। मशाला उद्योग अपनाने वाले किसानों के लिए स्पाइस बोर्ड द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की। जिला उद्योग केन्द्र के प्रबंधक आरपी आर्या ने जानकारी दी कि उत्तराखंड में अब सिंगल विंडो सिस्टम से एम एस एम ई, प्रधानमंत्री स्व-रोजगार योजना, उत्तराखंड की वीरेंद्र सिंह गढ़वाली योजना सहित फूड प्रोसेसिंग,कृषि प्रोसेसिंग डेयरी विकास जैसी योजनाओं का लाभ उठा कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने विभाग दी जाने वाली योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पौड़ी जिला उद्यान विभाग से कृषकों को 50 से 80% तक छूट पर गुणवत्तापूर्ण बीज, कीटनाशक व उद्यानीकरण में उपयोग होने वाले कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वहीं उद्यानीकरण करने के इच्छुक बागवानों को पहाड़ी क्षेत्रों में कीवी व भाबर क्षेत्र में ड्रेगन फ्रूट की के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इच्छुक कृषक अपने नजदीकी मोबाइल यूनिट से संपर्क कर योजना का लाभ उठा सकते हैं। वहीं कोटद्वार में कुम्भीचौड़ स्थित नर्सरी प्रभारी अक्षिता भट्ट ने पौड़ी जिले में स्वाट तकनीक से बनाए अपने हल्दी उत्पादन की संभावनाओं को लेकर बनाए प्रजेंटेशन से हल्दी उत्पादन की उपयोगिता, उत्पादन में आने वाली अड़चनें, मार्केटिंग, वैज्ञानिक शोधित बीज की समय पर उपलब्धता व भौगौलिक क्षेत्रों पर प्रजेंटेशन दिया, वहीं अंत में साईकिल मैं व हल्दी में विशेष उल्लेखनीय कार्य कर रहे कृषक की प्रेरणादायक कहानी से किसानों को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में डीएचओ कोटद्वार पंकज पटवाल ने विभाग द्वारा दी जाने वाली योजनाओं, प्रशिक्षणों और उन्नत बीजों का उपयोग कर सांग सब्जी,मशालें की खेती के साथ इंटरक्रोपिग खेती अपनाने पर जोर दिया।




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