अल्मोड़ा में मिली खुदाई के दौरान जीवनदायिनी ऐतिहासिक धरोहर

  अल्मोड़ा में मिली खुदाई के दौरान जीवनदायिनी ऐतिहासिक धरोहर

 अल्मोड़ा में पांडे खोला में मिली ऐतिहासिक धरोहर

अल्मोड़ा: अल्मोड़ा की नगर पालिका को खुदाई के दौरान सालों पुरानी एक ऐतिहासिक धरोहर मिली है। यहां पांडे खोला में करीब 25 से 30साल से मलबे में दबा नौला अस्तित्व में आया है।

सबसे अच्छी खबर यह ये है कि इस नौला में अब भी जल प्रवाह बना हुआ है। दरअसल नगर पालिका हाल ही में खुटकुनी भैरव मंदिर के पास खुदाई कर रही थी और खुदाई करते वक्त वहां उसे ऐतिहासिक नौला मिला है। सैकड़ों साल पुराना यह नौला 30 सालों से मिट्टी में दबा पड़ा था। नौले की संभावना को देखते हुए लंबे समय से इसे अस्तित्व में लाने की कवायद चल रही थी। नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी की पहल पर मलबे में दबे नौले को खुदाई के बाद अस्तित्व में लाया जा सका है। बीते बुधवार को नगर पालिका ने इस नौले को मलबे से निकालकर इसे नया जीवन दिया है। पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ चंद्र सिंह चौहान का कहना है कि यह ऐतिहासिक नौला लगभग 30 साल पूर्व मलबे में दब गया था।नौले में अब भी पानी का प्रवाह बना हुआ है। फिलहाल नौले की सफाई का काम चल रहा है और जल्द नौले को पुराने स्वरूप में लौटाया जायेगा.



चकराता में अवैध मजारों को वन विभाग ने किया ध्वस्त



 देहरादून के कालसी चकराता के वन क्षेत्र में अवैध रूप से बनाई मजारों को चकराता वन विभाग ने ध्वस्त कर अतिक्रमण से मुक्त कराया.

वन विभाग से मिली सूचना के आधार पर चकराता वन क्षेत्र के अन्तर्गत कालसी कक्ष संख्या  17 में  2.65 हेक्टेयर वन क्षेत्र में अवैध रूप में मजारों व कब्रिस्तानों का निर्माण कर वर्षों से अतिक्रमण किया गया था. गौरतलब है कि चकराता के कालसी क्षेत्र का यह क्षेत्र रिजर्व फारेस्ट के अन्तर्गत आता है इसके बावजूद रिजर्व फारेस्ट में मजारों का निर्माण हो जाता है.



 रिजर्व वन क्षेत्र में मजारों के निर्माण के खिलाफ हिन्दू संगठनों द्वारा बार बार शिकायत होती रही लेकिन वन विभाग ने इस ओर विशेष ध्यान नही दिया जिससे इस वन क्षेत्र में मजारों का निर्माण अनवरत जारी रहा.जब मजारों का निर्माण नहीं रुकने का काम होता रहा तो सोशल मीडिया में मजारों के निर्माण की खबर चलने लगी. केन्द्रीय वन मंत्रालय ने खबर का संज्ञान लेते हुए उत्तराखण्ड वन विभाग से जबाब तलब किया तो वन विभाग में हडकंप मच गया.



 सोशल मीडिया में खबर चलने व केन्द्रीय मंत्रालय की जबाब तलबी के बाद वन विभाग की नींद खुली और वन विभाग ने आनन फानन में तब कार्यवाही शुरू की.

  यही नहीं इस क्षेत्र में पू्र्व में एस एस बी का गुरिल्ला ट्रेनिंग सेंटर भी हुआ करता था ंं.समीप में ही सैना का कैम्प भी है जहाँ समय समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते रहते हैं. बताते चलें कि मुस्लिम समुदाय द्वारा इस वन क्षेत्र में कब्रिस्तान निर्माण के लिए वन विभाग पर दबाव बनाया जा रहा था. वन विभाग ने भी इसकी अनुमति के लिए जिलाधिकारी को प्रस्ताव भेजा था. गौरतलब है कि वन भूमि हस्तांतरण का केन्द्रीय सरकार/वन मंत्रालय के अधीन होता है


  लोक संवाद टुंडे परिवार की ओर से


       


उत्तराखंड के भव्य लोकपर्व, उत्रायणी, घुघूती सज्ञान, खिचड़ी त्यौहार की सभी उत्राखंडियों को देव प्रदेश की मंगलकामनाओं के साथ शुभकामनाएँ एवं बधाई


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