जंगली भालू ने पौड़ी जिले के चाकीसैंण तहसील क्षेत्रांगत कुचौली गांव की गायों को मनाया निवाला

जंगली भालू ने पौड़ी जिले के चाकीसैंण तहसील क्षेत्रांगत कुचौली गांव की गायों को मनाया निवाला 

 एक रात में तीन गाएं बनी भालू का शिकार , ग्रामीण घरों में कैद 



पौडी़,चाकीसैंण। पहाड़ का जीवन दिन-प्रतिदिन जी का जंजाल बनता जा रहा है। पहाड़ में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। बरसात के मौसम में तो स्थिति और भी विकट हो चली है।एक तरफ मौसम की मार, दूसरी ओर जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा।

 मौजूदा बरसात के मौसम में एक तरफ भूस्खलन,बादल फटने भू-धंसाव से पहाड़ का आयोजन जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ हैं। शासन-प्रशासन से लेकर राज्य सरकार की तमाम मशीनरी बरसाती मौसम के आगे बेबस नजर आने लगी हैं। वहीं दूसरी ओर जंगली जानवर जिनमें आदमखोर बाघ से लेकर भालूओं ने भी भयंकर तांडव मचाया हुआ है।

 पौड़ी जिले के सतपुली में विगत दिनों आदमखोर बाघ ने एक मासूम को निवाला बनाया तो दूसरे को घर से उठा लिया तीसरी घटना में बुजुर्ग और बालिका पर हमला कर घायल कर दिया। वहीं जिले के चाकीसैण तहसील क्षेत्रांगत भी जंगली भालू पिछले कुछ दिनों से आतंक का कारण बना हुआ है।

  बीते शनिवार को जंगली भालू ने एक ही रात में तीन गायों को अपना शिकार बना डाला। ग्राम प्रधान गुलेख उत्तम सिंह नेगी ने जानकारी दी की कि बीती रात कुचौली गांव में भालू ने जबरन गौशाला में घुसकर तीन गायों को शिकार बना डाला। ग्राम प्रधान के अनुसार उनके द्वारा वन विभाग पौड़ी रेंज कार्यालय पैठाणी व जिलाधिकारी पौड़ी स्वाति एस भदौरिया को भी लिखित में सूचित कर दिया है। आज पुनः श्रीमती रीना देवी पत्नी श्री नरेश कुमार की गौशाला में जबरन घुसकर, इस हिंसक जीव ने तीन गायों को मार डाला। यह पिछले एक महीने में 9वीं घटना है।

 शासन-प्रशासन, वन विभाग और जनप्रतिनिधियों को एक बार फिर सूचित कर रहा हूँ कि हमारे ग्राम और आसपास के क्षेत्रों में एक हिंसक वन्य जीव की गतिविधियां नियंत्रण से बाहर हो चुकी हैं। यह मामला केवल पशुधन का नहीं, मानव जीवन की सुरक्षा का भी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएँ दिन के समय भी बाहर निकलने से डर रहे हैं। यदि त्वरित कार्यवाही नहीं हुई, तो कभी भी कोई मानव हताहत की घटना घट सकती है।


ग्रामीणों की प्रमुख माँग है कि:

1. हिंसक वन्य जीव की पहचान कर उसे तत्काल पकड़ने या बेअसर करने हेतु उचित शक्ति का प्रयोग किया जाए।

2. यदि यह जीव पकड़ में नहीं आता और खतरा निरंतर बना रहता है, तो वन विभाग द्वारा Shoot-Out (मार गिराने) का आदेश जारी किया जाए — ताकि ग्रामीणों की जान-माल की रक्षा हो सके।

3. पीड़ित पशुपालकों को मुआवजा और सुरक्षा प्रदान की जाए।

4. यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई, तो क्षेत्र के अन्य सभी गांवों के साथ मिलकर संयुक्त आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह केवल एक वन्य जीव का मामला नहीं है — यह हमारे जीवन, सुरक्षा और अस्तित्व का सवाल है। अब एक और नुकसान बर्दाश्त नहीं होगा। 



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