थलीसैंण के चाकीसैंण क्षेत्र में हिंसक भालू ने फिर बरपाया कहर

  थलीसैंण के चाकीसैंण तहसील क्षेत्र में हिंसक भालू ने फिर बरपाया कहर

 एक गाय को गौशाला में तो दूसरी को बाहर बनाया निवाला 



 थलीसैंण/कोटद्वार। पहाड़ की त्रासदी ने आमजनता की कमर तोड़कर रख दी। बची-खुची कसर हिंसक जंगली जानवरों द्वारा की जा रही है। हालात इतने अधिक बदतर हैं कि पहाड़ के ग्रामीणों, स्कूली बच्चों और तो और अब पालतू जानवर भी सुरक्षित नहीं। हिंसक जंगली जानवर कहीं बच्चों को,कहीं घसियारी महिलाओं तो कहीं पशुपालकों को घर बाहर अपना शिकार बना रहे हैं।

 सरकारी तंत्र जिसमें जिला प्रशासन और वनविभाग जिसकी जिम्मेदारी आमजनता की सुरक्षा और हिंसक पशुओं से ग्रामीणों और पशुओं को बचाने की जिम्मेदारी है उसकी नींद तब जागती जब हिंसक पशु किसी के घर का चिराग, कमाने वाला व घरकी देखभाल करने वाली मां सहित पशुओं से रोजगार पर निर्भर आजीविका का साधन छिन जाता है। मौखिक और लिखित शिकायत हिंसक पशुओं को देखने पर कार्रवाई नहीं होती जब तक कि कोई गंभीर घटना/दुर्घटना न हो जाए।

 ऐसा ही कुछ मामला पिछले महीने से थलीसैंण विकास खंड के कई गांवों में देखने सुनने को मिल रहा है जहां विशेष कर हिंसक जंगली भालू ने कहर बरपाया सुवा है। विगत रात्रि ग्राम सभा कुचौली पोस्ट गडौली तहसील चाकीसैंण में हिंसक भालू द्वारा एक ही रात में दो गौवंशों को निवाला बना दिया।गजब तो यह एक गाय को गौशाला तोड़कर अंदर मार डाला तो दूसरी गाय को गौशाला के बाहर। ऐसे में ग्रामीण और उनके पालतू पशु कैसे सुरक्षित रहेंगे। अब तो वन विभाग और प्रशासन को कड़ा निर्णय लेकर इस हिंसक जंगली भालू को मारने के आदेश देने चाहिए।

 

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