लालपानी राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय की बर्बादी के लिए जिम्मेदार चिकित्सा विभाग,जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि

 लालपानी राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय की बर्बादी के लिए जिम्मेदार चिकित्सा विभाग,जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि 



लालपानी राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय की स्थिति 

 एक अकेला स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पिछले दस सालों से सूचना अधिकार के माध्यम से बदहाल चिकित्सालय को स्थानीय जनता के लिए सुलभ करवाने को कर रहा संघर्ष 

सूचना अधिकार में ली गई जानकारी पर कार्यवाही 

राज्य सूचना आयुक्त के निर्देशों को भी नहीं करवा पा रहा चिकित्सालय प्रशासन लागू, ढुलमुल रवैया मरीजों पर पड़ रहा भारी 
 चिकित्सा विभाग की उपेक्षा से चिकित्सालय बन गया जंगल, विभाग में मंगल ही मंगल 


सूचना अधिकार में ली गई जानकारी पर कार्यवाही 

कोटद्वार। उत्तराखंड बनने के बाद से उत्तराखंडी जन-मानस पिछले 24 वर्षों के युवा राज्य में अपनी पहचान, राज्य सम्पत्तियों के उजड़ते आशियानों,जल, जंगल जमीन को लुटते व ब्यूरोक्रेट व सत्ताधारी नेताओं की बिना विजन की सरकारों का तमाशा देख रहा है। उत्तराखंड राज्य की मांग का मूल उद्देश्य अच्छी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, सुविधा युक्त चिकित्सा व चिकित्सालय, जनता को सुलभ सड़क, बिजली,पेयजल के साथ पहाड़ी राज्य से हो रहे पलायन पर रोकथाम लगाकर स्थानीय संसाधनों से स्वरोजगार के साथ राज्य के युवाओं को 
 राज्य के सरकारी विभागों में रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर राज्य की लड़ाई लड़ी और राज्य बनवाया।
  परन्तु राज्य के भोले-भाले पहाड़ियों को मुट्ठी भर चालबाजों ने जनप्रतिनिधि बनकर राज्य विरोधी मानसिकता के ब्यूरोक्रेट की कठपुतली बनकर जिस तरह लूठना पिछले 24 वर्षो में किया वह किसी से अनदेखा नहीं है।
 वर्तमान में उत्तराखंड में निकाय चुनावों का घमासान शुरू हो गया है। कोटद्वार में भी नगरनिगम का दूसरे कार्यकाल का चुनाव होने जा रहा है। पिछले पांच साल के नगरनिगम के कार्यकाल से जनता कितनी संतुष्ट है यह दूसरे कार्यकाल में चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों की राजनीतिक क्षमता से पता चलेगा। 
  लोक संवाद टुडे आज के लेख में वार्ड नं 3 के लालपानी स्थित राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय के बारे में बताने जा रहा है। यह रा.एलोपेथिक चिकित्सालय 2008-09 में लगभग 58  लाख की लागत से तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के कार्यकाल के दौरान अस्तित्व में आया व 2011 में बनकर पूर्ण हुवा। निर्माणदाई संस्था ग्रामीण निर्माण प्रखंड द्वारा इस चिकित्सालय भवन को चिकित्सा विभाग को हस्तांतरित कर दिया परन्तु चिकित्सालय भवन के साथ बने तीन आवासीय भवनों को हस्तांतरित नहीं किया व न ही चिकित्सा विभाग द्वारा इस संबंध में ग्रामीण निर्माण प्रखंड से इस संबंध में कोई कार्रवाई की। 
 इस चिकित्सालय के संबंध में गौर करने वाली बात यह है कि दोनों विभागों के साथ साथ उस दौरान के स्थानीय ग्राम प्रधान, बीबीसी मेंबर, वार्ड पार्षद से लेकर वर्तमान नगर निगम पार्षद (दो और तीन) जिसकी जनता इस चिकित्सालय से स्वास्थ्य लाभ उठाती है बिल्कुल लगता है सोए या जानबूझकर अज्ञान बने रहे। यही नहीं इन जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से इस चिकित्सालय के समांतर गाडीघाट पुल के समीप चिकित्सालय का लालपानी में भवन होते हुए लगभग एक से डेढ़ किमी दूर निजी भवन में व्यक्ति विशेष को लाभान्वित करने के दृष्टिगोचर 25000 रुपए किराए के भवन में चिकित्सालय संचालित करवाकर लालपानी राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय को खत्म करने की गंभीर साजिश करने का प्रयास किया है।
 स्थानीय जनप्रतिनिधियों की गलती को सुधारने के लिए स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण सिंह नेगी ने जब सूचना अधिकार के माध्यम से जानकारी  प्राप्त की तो चिकित्सा विभाग के साथ ग्रामीण निर्माण प्रखंड की खामियां उजागर हुई। सूचना का जबाब देने में सूचना विभाग को राज्य लोक सेवा सूचना आयोग की फटकार भी झेलनी पड़ी। राज्य लोक सूचना आयुक्त द्वारा स्वास्थ्य विभाग के डीजी को आदेशित किया गया कि चिकित्सालय भवन के साथ आवासीय भवनों को हस्तांतरित करवाकर जीर्ण-शीर्ण भवन का पुनः जीर्णोद्धार किया जाए। परन्तु अक्टूबर 2024 के राज्य सूचना आयुक्त के आदेशों पर स्वास्थ्य विभाग की लेटलतीफी सनेह पट्टी से सटे ग्रामीण क्षेत्रों सनेह,कोटडीढांग,लालपानी, रामपुर, बिशनपुर, जीतपुर और कुम्भीचौड़ के बीमार लोगों को भारी पड़ रहा है। कृष्ण सिंह नेगी ने बताया कि उन्हें जनता के हित कानून का दरवाजा भी खटखटाना पड़े तो वह इसके लिए भी तैयार हैं।शासन प्रशासन स्तर पर लिखित निर्देशों के वावजूद काम न करना कहीं न कहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ जिला स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही है।

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