कोटद्वार नगरनिगम का सियासी दांवपेंच का चुनाव
राष्ट्रीय राजनीतिक दल बनाम सैनिक संगठन
पुष्कर सिंह पवार "पदम"
कोटद्वार। उत्तराखंड में वर्तमान में नगर निकाय चुनावों का राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों सहित क्षेत्रीय व निर्दलीय अपना अपना गुणा-भाग के साथ चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के अनुसार नगरनिगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों का राजनीतिक, सामाजिक और जातिगत ताना-बाना अलग-अलग है।
आज लोक संवाद टुडे कोटद्वार नगरनिगम की राजनीति की राजनीतिक गणित के जोड़ घटाना से लेकर गुणा-भाग की समीक्षा राजनीतिक पृष्ठभूमि, अनुभव, जनता में प्रभाव, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की अपने प्रत्याशी के प्रति निष्ठा और आस्तीन के सांप की भूमिका के साथ जोड़-तोड़ करने की सियासी चाल, पार्टी संगठनों का सहयोग व दावेदारों
की व्यक्तिगत छवि और उनके जनता के लिए किए गए संघर्ष
व उपलब्धियां।
कोटद्वार नगर निगम में तीन राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के साथ दो सैनिक संगठन की पृष्ठभूमि के दावेदार चुनावी ओलम्पिक में स्वर्ण मुकुट के पाने के प्रत्याशी। सबसे पहले कोटद्वार के मेयर पद के दावेदारों की राजनीतिक पृष्ठभूमि से परिचय करवातें हैं। पहले दावेदार सत्ताधारी दल भाजपा के शैलेन्द्र सिंह रावत पूर्व कोटद्वार भाजपा विधायक
व दो बार के यमकेश्वर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी। दूसरी दावेदार कांग्रेस से महिला पौड़ी जिले की कांग्रेस अध्यक्ष व वर्तमान में राज्य स्तरीय कांग्रेस पदाधिकारी। तीसरे उम्मीदवार महेश नेगी बसपा से हैं जो पूर्व में सांसद व विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं। चौथे उम्मीदवार सैनिक पृष्ठभूमि के सैनिक संघर्ष समिति उत्तराखंड के अध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह रावत जो पहली बार चुनावी दंगल में उतर रहे हैं। वहीं पांचवें उम्मीदवार भी सैनिक पृष्ठभूमि से हैं जो सैनिक संगठन के साथ नागरिक मंच के सक्रिय पदाधिकारी हैं।
भाजपा मेयर प्रत्याशी शैलेन्द्र सिंह रावत राजनीति के माहिर और वर्तमान प्रत्याशियों में सबसे अधिक राजनीतिक अनुभव वाले प्रत्याशी हैं। लेकिन शैलेन्द्र रावत का राजनीतिक कैरियर दलबदलू किरदार के रूप में प्रसिद्ध है।भले ही शैलेन्द्र रावत व्यवहारिक सरल और धनबल में सक्षम हैं, परन्तु उनकी सबसे बड़ी समस्या आस्तीन के सांपों और पार्टी के भीतर के कार्यकर्ताओं का भीतरघात भारी पड़ सकता है। जानकारी में आ रहा है कि उनके कुछ खास राजनीतिक मित्र व भाजपा के भविष्य के दावेदार उनके साथ बड़ा खेला करने वाले हैं।
दूसरी दावेदार कांग्रेस की रंजना रावत जो कि पहली बार चुनावी दंगल में हैं,अपनी जुझारू और कर्मठता से कांग्रेस के विभिन्न पदों पर खरे उतरते हुए कोटद्वार के कांग्रेस के कद्वावर नेता के विरोध के वावजूद मेयर टिकट पाने में कामयाब हो गई। कोटद्वार में रंजना रावत कांग्रेस की सबसे अधिक लोकप्रिय नेता के रूप में मान्य है। रंजना रावत का अंकिता भंडारी हत्याकांड में सरकार के खिलाफ संघर्ष,सराब और स्थानीय समस्याओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन व महिलाओं मे लोकप्रियता उनका जनाधार है।
तीसरे राष्ट्रीय पार्टी बसपा के प्रत्याशी महेश नेगी भी सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी के साथ गरीब निराश्रित और समाज के तिरस्कृत समुदाय के लिए संघर्ष सहित सरकारी विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए जाने जाते हैं। वहीं महेश नेगी सांसद और विधायक का पूर्व में कोटद्वार व गढ़वाल से चुनाव लड़ चुके हैं।
चौथे मेयर प्रत्याशी पूर्व सैनिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह रावत जो पूर्व सैनिकों की निजी व विभागीय समस्याओं के समाधान सहित कोटद्वार में कूड़ा निस्तारण, स्वच्छता और किसानों की सिंचाई व्यवस्था की बदहाली को लेकर संघर्ष के बलबूते अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
वहीं पांचवें मेयर प्रत्याशी गोपाल कृष्ण भी सैनिक पृष्ठभूमि और नागरिक मंच पदाधिकारी से हैं तथा कोटद्वार में पूर्व सैनिकों की समस्याओं और लालढांग चिल्लरखाल मोटर मार्ग, कोटद्वार जिले की मांग के साथ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे है।
कोटद्वार की जनता को अब देखना यह है कि उनके समस्याओं के समाधान के साथ संघर्ष कौन कर सकता है,कौन हवाई घोषणा करेगा,कौन सरकार की जनता विरोधी योजनाओं का विरोध करने के लिए जनता का साथ देगा,कौन खनन,शराब और वन माफिया के खिलाफ सरकार और विभागों से जनता हित में लडा़ई लड़ेगा,कौन भू माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए जनता की पैरवी करेगा। यह सब वादे जनता को मेयर प्रत्याशियों से स्टाम्प पेपर पर लिखवा कर लेने पड़ेंगे तभी कोटद्वार की जनता सुकुन की सांस ले पाएगी।
कोटद्वार मेयर के लिए छठे प्रत्याशी महेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड क्रांति दल से है जिनका जीवन उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीयों के लिए संघर्ष करना रहा है। महेंद्र रावत राज्य निर्माण से लेकर वर्तमान तक उत्तराखंड आंदोलन कारियों के लिए संघर्ष के लिए जाने जाते हैं।
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